मनमोहन सिंह जिंदा हैं, गौर से देखिए, आपके पास ही मिल जाएंगे - डॉ प्रमोद कुमार सिंह

सुजानगंज

करोड़ों गरीब बच्चों की आंखों में सम्मान और सुनहरे कल का ख्वाब डालने वाले, मिडिल क्लास के लोगों में अपना घर और अपनी कार का अरमान पालने वाले, करोड़ों परिवारों को दरिद्रता की दलदल से निकालने वाले मनमोहन सिंह भारत के असली हीरो थे। एक विद्वान प्रोफेसर, शानदार अर्थशास्त्री, मजूबत निर्णय लेने वाले योद्धा, आने वाले कल की समझ रखने वाले दूरदर्शी नेतृत्वकर्ता के रूप में मनमोहन सिंह युगों-युगों तक याद आएंगे। ये देश के लोगों का सौभाग्य था कि उन्हें मनमोहन सिंह जैसा प्रधानमंत्री मिला। जिसे हर आदमी की समस्याओं से फर्क पड़ता था। जो चाहता था कि उसका देश दुनिया का नेतृत्व करे। सौम्यता इतनी की उनकी खामोशी भी बोलती थी, सरलता ऐसी की विरोध करने वालों का शोर भी शरमा जाए। मनमोहन सिंह जितने बड़े आदमी थे, उससे ज्यादा बड़े इंसान। लोकतांत्रिक इतने कि उनके बगल में बैठकर लोग उनकी आलोचना कर सकते थे। कोई भी आदमी उन पर किताबें लिख सकता था, कोई भी आदमी उनका मजाक उड़ा सकता था। वो बुरा नहीं मानते थे क्योंकि उन्हें पता था कि आज भले ही लोग उनको नहीं समझ पा रहे हैं, मगर भविष्य उनको जरूर समझेगा। ये मनमोहन सिंह ही थे, जिसने भारत के लोगों को एक जनसंख्या से इतर आधार कार्ड के जरिए एक यूनिक पहचान दी। मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री रहते हुए भारत की अर्थव्यवस्था को उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की दिशा में ले गए। उन्होंने आयात-निर्यात नीति में सुधार कर विदेशी निवेश को बढ़ाया। देश में रोजगार के मौके बढ़ें ,लोगों की आय बढ़ी। मनमोहन सिंह ने भ्रष्टाचार को रोकने के लिए आम आदमी को आरटीआई का हथियार दिया। इससे पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हुई। मनमोहन सिंह की सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम लागू किया, जिससे गांव में रहने वाले गरीबों को साल में 100 दिनों के रोजगार की गारंटी मिली ! उनकी सरकार ने देश के 6 से 14 साल के हर बच्चे को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार दिया। जिससे करोड़ों बच्चों का भविष्य उज्जवल हुआ। उन्होंने 2008 में अमेरिका के साथ ऐतिहासिक भारत-अमेरिका नागरिक परमाणु समझौता किया, जिससे भारत को वैश्विक परमाणु बाजार में प्रवेश करने और ऊर्जा संकट से निपटने में मदद मिली। इस कानून के जरिए देश के दो-तिहाई परिवारों को सस्ते दरों पर राशन मिलना शुरू हुआ। यह कदम गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रहे परिवारों के लिए वरदान साबित हुआ।
विकास परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण करने पर प्रभावित लोगों को उचित मुआवजा का कानून बना। आदिवासी समुदाय को उनके परंपरागत भूमि अधिकार वापस दिलाने का ऐतिहासिक कदम था। 2008 में चंद्रयान मिशन-1 एवं चंद्रयान मिशन-2 को मंजूरी देकर अंतरिक्ष में भारत को नही भारत के आर्थिक विकास को गति दी, उनके कार्यकाल में भारत ने आर्थिक विकास की ऊंची दरें दर्ज कीं। 2004-2008 के बीच भारत की GDP वृद्धि दर 8% से अधिक रही। उनकी सरकार ने महिलाओं को 33% आरक्षण देने के लिए महिला आरक्षण बिल को लोकसभा में प्रस्तुत किया। उन्होंने जननी सुरक्षा योजना और राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन जैसी योजनाओं को लॉन्च किया, जिससे मातृत्व स्वास्थ्य और ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हुआ।
मनमोहन सिंह भले ही इस दुनिया में नहीं है, मगर उनकी सोच जिंदा है। आप गौर से देखेंगे तो आपको मनमोहन सिंह मिल जाएंगे...... गरीबों की रोटी में, मेहनतकश मजदूरों की नींद में, कुछ कर गुजरने का जज्बा पाले पीठ पर बैग टांगे बच्चों की आंखों में, सम्मान से जीती महिलाओं की बातों में। आपको मनमोहन सिंह मिल जाएंगे...... देश की तरक्की के रफ्तार में, मजबूत भारत की नींव में, गरीबों के पक्के छत वाले मकान में, मिडिल क्लास के सपने और अरमान में, प्रोटोकॉल की भीड़ से अलग सरलता में,  किसी दूरदर्शी निर्णय की सफलता में...... डॉक्टर साहब मिल जाएंगे।

राजनीति की पाठशाला 
अध्यक्ष - उत्तर प्रदेश 
डॉ प्रमोद कुमार सिंह 
लेखक के अपने विचार हैं

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