देश में हुए आतंकवादी घटना दिल्ली दहल गई 12 लोगों की मौत का कारण देश का ही गद्दार डॉक्टर देश का ही नमक खाकर देश के साथ नमक हलाली पर विचार व्यक्त करते हुए डॉक्टर आशुतोष त्रिपाठी ने कहा कि चिकित्सा का पेशा दुनिया के सबसे नेक और भरोसेमंद पेशों में से एक माना जाता है। डॉक्टर को अक्सर 'धरती पर भगवान' का दर्जा दिया जाता है, क्योंकि वे जीवन बचाने का काम करते हैं। लेकिन, जब इसी पवित्र पेशे से जुड़ा कोई व्यक्ति अपने पद, ज्ञान और विश्वास का दुरुपयोग करता है और देश या समाज के खिलाफ काम करता है, तो उसे 'गद्दार' की संज्ञा दी जाती है।
यह 'गद्दारी' सिर्फ़ देश की सीमाओं से विश्वासघात तक सीमित नहीं है, बल्कि देश मे रह करके देश के नागरिकों के बीच में किसी अन्य एजेंट पर काम करना तथा देश को हानि पहुंचाना मूलभूत नैतिक मूल्यों से विश्वासघात है जिन पर यह पेशा टिका हुआ है।गद्दारी के विभिन्न रूप
'गद्दार' डॉक्टर कई तरह से अपने पेशे और देश को धोखा दे सकते है कुछ जघन्य मामलों में डॉक्टरों ने पैसों के लालच देशद्रोही और
आतंकवादी संगठनों को सहायता कुछ डॉक्टर अपनी चिकित्सा जानकारी, संसाधनों या स्वयं की पहचान का इस्तेमाल करके देश विरोधी या आतंकवादी संगठनों को पनाह, चिकित्सा सहायता, या गुप्त सूचनाएं प्रदान करते हैं। इस पर विरोध व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान की घटनादेश की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है।
गोपनीय जानकारी लीक करना संवेदनशील सरकारी संस्थानों (जैसे सेना, गुप्तचर विभाग) में काम करने वाले डॉक्टर महत्वपूर्ण और गोपनीय जानकारी शत्रुओं तक पहुँचा सकते हैं। देश को इस पर सख्त कानून की आवश्यकता है देश विरोधी गतिविधियों में शामिल डॉक्टर राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर रूप से खतरे में डालते हैं। डॉ त्रिपाठी ने कहा कि
चिकित्सा एक सेवा धर्म है। जिस पल कोई डॉक्टर अपने नैतिक दायित्व को भूलकर व्यक्तिगत लाभ या देश विरोधी एजेंडे के लिए अपने ज्ञान का उपयोग करता है, वह न केवल 'गद्दार' कहलाता है, बल्कि उस पवित्र शपथ को भी तोड़ता है जो उसने लोगों की सेवा के लिए ली थी।ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कानूनी कार्रवाई, चिकित्सा परिषदों द्वारा नैतिक निगरानी, और स्वास्थ्य कर्मियों की बेहतर जांच आवश्यक है ताकि चिकित्सा का पेशा हमेशा भरोसेमंद बना रहे।
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