शरद कुमार श्रीवास्तव राही
शहरी जीवन और ऑनलाइन शिक्षा ने बदल दिए मूल्य, गांव की सादगी अब भी बेहतर
आज के आधुनिक युग में शहरी जीवन और ग्रामीण जीवन के बीच का अंतर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। पैसों के आकर्षण ने लोगों को शहरों की ओर खींचा है, जबकि गांव की सरल पगडंडियां अपनी प्राकृतिक सुंदरता के साथ अब भी मौजूद हैं।
शिक्षा के क्षेत्र में भी यह बदलाव देखा जा सकता है। शहरों में लोग सूट पहने अध्यापकों की तलाश में हैं, जबकि गांव के गुरुजी अपनी सच्चाई और समर्पण के साथ शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। आधुनिक शिक्षा प्रणाली में ऑनलाइन कक्षाएं प्रमुख हो गई हैं, जिससे पारंपरिक शिक्षकों की भूमिका कम होती जा रही है।
युवा पीढ़ी में फैशन और ऑनलाइन क्लास का चलन बढ़ गया है। उन्हें पास-फेल की चिंता कम और नेटवर्क कनेक्शन की चिंता अधिक है। आधुनिकता की आड़ में परंपरागत मूल्य और लोक लज्जा का महत्व कम होता जा रहा है।
पारिवारिक संबंधों में भी बदलाव आया है। बच्चे अपने माता-पिता के सामने ही अनुचित व्यवहार करते हैं। बेटा पिता के सामने हुक्का पी रहा है, बेटी मां की उपस्थिति में श्रृंगार कर रही है। परिवार के बुजुर्गों का सम्मान कम होता जा रहा है।
इस कविता के माध्यम से शरद श्रीवास्तव राही ने आधुनिकता के नाम पर हो रहे मूल्यों के पतन और शहरी जीवन की जटिलताओं को दर्शाया है। उनका संदेश स्पष्ट है कि आर्थिक समृद्धि के बावजूद, गांव की सादगी और वहां के जीवन मूल्य अब भी बेहतर हैं।
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