जौनपुर, उत्तर प्रदेश
राजनीति की पाठशाला उत्तर प्रदेश अध्यक्ष व प्रणवम स्कूल के प्रबंधक डॉ प्रमोद कुमार सिंह ने कहा नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध नशीली दवाओं के व्यापार के खिलाफ एक संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय दिवस है। यह 1989 से 26 जून को प्रतिवर्ष मनाया जाता है। 26 जून की तारीख लिन ज़ेक्सू के हुमेन, ग्वांगडोंग में अफीम व्यापार को समाप्त करने की याद में है, जो चीन में पहले अफीम युद्ध से ठीक पहले 25 जून, 1839 को समाप्त हुआ था। 7 दिसंबर 1987 के महासभा संकल्प 42/112 द्वारा पालन की स्थापना की गई थी।
26 जून 1987 को, वियना में आयोजित नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में दो महत्वपूर्ण ग्रंथों ( ड्रग अबाउट कंट्रोल में भविष्य की गतिविधियों की व्यापक बहु-विषयक रूपरेखा और नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की घोषणा) को अपनाया गया था, 17-26 जून 1987 के दौरान। सम्मेलन ने सिफारिश की कि नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ लड़ाई के महत्त्व को चिह्नित करने के लिए एक वार्षिक दिवस मनाया जाना चाहिए। 17 जून और 26 जून दोनों तिथियों का सुझाव दिया गया था, और बाद की बैठकों में 26 जून को चुना गया और मसौदा और अंतिम प्रस्ताव में लिखा गया। इसे अक्सर एंटी-ड्रग प्रचारकों द्वारा 26 जून के रूप में संदर्भित किया जाता है।
इस दिन अभियान, रैलियां, पोस्टर डिजाइनिंग और कई अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस दिन को विभिन्न देशों के लोग एक साथ मनाते हैं। जैसे-जैसे नशीली दवाओं का उपयोग बढ़ता है यह दिन और अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।
न्याय के लिए स्वास्थ्य। नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस 2019 की थीम 'जस्टिस फॉर हेल्थ' इस बात पर प्रकाश डालती है कि नशीली दवाओं की समस्याओं को दूर करने के लिए न्याय और स्वास्थ्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। उत्तर प्रदेश के युवा ख़ास तौर पर खैनी व तम्बाखू की चपेट में आने से माउथ कैंसर बढ़ रहा है, इसे रोका जाना चाहिए, नशे के खिलाफ़ जन आंदोलन जागरूकता के लिए स्वास्थ्य विभाग को विश्वास में लेकर चिकित्सक के साथ छोटे छोटे नुक्कड़ सभा विद्यालयों में, विश्वविद्यालयों में, छात्रावास में आदि जगहों पर होनी चाहिए ।
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