(१) वीर सपूतों की कुर्बानी ,हमको याद जब आती है।
ये आंखे फिर नदिया बनके,अपने अश्रु बहाती हैं।।
याद जरा उनको करले, जिसने था तिरंगा ओढ़ा ।
जिनका रंग था बसंती चोला,जिनका रंग था बसंती चोला।।
(२) ब्रिटिश शासन की क्रूरता, दिन प्रतिदिन सताती थी।
निःहत्थे निर्दोषों पर वो, गोली नित बरसाती थी।।
धीरे- धीरे चिंगारी से , बन गया आग का गोला ।
जिनका रंग था बसंती चोला,जिनका रंग था बसंती चोला।।
(३) धन्य वे अमर सपूत जिनमें आजादी की दीवानी।
आजादी के हवन कुंड में ,आहुत करी जवानी ।।
याद बहुत आता है हमको, वो बसंती टोला ।
जिनका रंग था बसंती चोला,जिनका रंग था बसंती चोला।।
(४) इस आजादी ने कितनी , बहनों की मांग उजाड़ी है।
कितनी मांओं की कोखों को,सूनी तक कर डाली है।।
बहने तक ना बांध सकी भाईयों, को रक्षा डोरा ।
जिनका रंग था बसंती चोला,जिनका रंग था बसंती चोला।।
(५) आजाद भगत सिंह सुखदेव थे आजादी के मतवाले।
सत्य ,अहिंसा के पुजारी बापू थे हिम्मत वाले ।।
जिनके साहस से सिंहासन अंग्रेजो का डोला ।
जिनका रंग था बसंती चोला,जिनका रंग था बसंती चोला।।
🇮🇳 जय हिंद, वंदे मातरम 🇮🇳
✍️ इंजीनियर पीयूष त्रिवेदी
उत्तर प्रदेश।