(डाक्टर शिखा शुक्ला, स्त्री एवं बाझपन रोग विशेषज्ञ)
जौनपुर
दीपोत्सव के पर्व दीपावली पर पटाखा छोड़ने की परंपरा है। उमंग व खुशियों के इस पर्व में खलल न पड़ जाए इसलिए सतर्कता जरूरी होती है। रविवार को पर्व मनाने वाले शुभेच्छुओं से आह्वान है कि वह ग्रीन व कम आवाज वाले पटाखे ही छोड़ें, क्योंकि तेज आवाज व बारूद के धुएं घातक साबित हो सकते हैं। खासकर गर्भवती महिलाओं व गर्भ में पल रहे शिशुओं के लिए यह अधिक हानिकारक है। पटाखों की तेज आवाज से गर्भवती महिला का गर्भपात भी हो सकता है। इतना ही नहीं गर्भ में पल रहे शिशु की सुनने की क्षमता भी कम हो सकती है।
पटाखों से निकलने वाली हानिकारक कार्बन मोनोऑक्साइड गैस सांस के माध्यम से गर्भ में पल रहे बच्चे तक पहुंच सकती है। इससे बच्चे को सांस संबंधी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। कई बार शिशु में विकार भी पैदा कर सकता है। साथ ही गर्भवती महिलाएं तेज आवाज के पटाखों से दूर रहें।
दमा रोगियों को होती है परेशानी
पटाखों से पर्यावरण में ज्यादा कार्बन डाइ आक्साइड के होने के कारण दमा रोगियों को भी परेशानी बढ़ सकती है। इन रोगियों को सांस में लेने में परेशानी होती है।
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