प्रयागराज - कहा जाता है कि जब ईश्वरीय प्रेरणा और माता-पिता का पुण्यफल व मार्गदर्शन होता है तभी इंसान सद्कर्मों की तरफ़ अग्रसर होता है और अपने समाज को कुछ बेहतर दे पाता है।कुछ ऐसे ही हैं प्रतापगढ़ की माटी में पले-बढ़े शांडिल्य इं दुर्गेश त्रिपाठी।कड़ाके की ठण्ड में दीन-हीन असहायों की कम्बल सेवा हो या गम्भीर बीमारी से ग्रसित लोगों को तत्काल उपचार उपलब्ध कराना हो या किसी जरूरत को रक्त उपलब्ध कराना हो या किसी मेधावी निर्धन छात्र की मदद हो या कैंसर पीड़ित की यथासम्भव जो भी मदद हो दुर्गेश प्रथम पंक्ति में नजर आते हैं।मानवता को ही अपना धर्म मानते हैं।बचपन से ही मेधावी व आध्यात्मिक प्रवृत्ति वाले शांडिल्य दुर्गेश की प्रतिभा बहुमुखी है और व्यक्तित्व सरल,सहज,सौम्य और मृदुभाषी।इलेक्ट्रॉनिक्स कम्युनिकेशन में स्नातक और मास्टर ऑफ सोसल वर्क शांडिल्य दुर्गेश,यूपीपीएससी में बतौर समीक्षा अधिकारी कार्यरत हैं तथा कर्मकांड व ज्योतिष में भी गूढ़ जानकारी रखते हैं।माँ विंध्यवासिनी में गहरी आस्था रखने वाले व सनातन भाव से ओतप्रोत ऐसे व्यक्तित्व द्वारा अक्टूबर माह में एक बहुप्रतीक्षित कृति"सनातन,विज्ञान और हम"नामक पुस्तक का प्रकाशन भी किया जा रहा है। उक्त कार्य हेतु महामहिम राज्यपाल महोदया,विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति महोदय सहित क्षेत्रीय जनप्रतिनिधिगणों ने भी शुभकामना संदेश प्रेषित किये हैं।ज्ञातव्य हो शांडिल्य दुर्गेश, प्राचार्य पं. श्याम शंकर त्रिपाठी के सुपुत्र हैं जो स्वयं गणित और ज्योतिष के प्रकाण्ड विद्वान हैं तथा सनातन,विज्ञान और हम पुस्तक के सम्पादक व मार्गदर्शक भी हैं।