जौनपुर
अवध मार्त्तण्ड,संगीतश्रृंगलंकृत,राजसंगीतज्ञ हिन्दू साम्राज्य परिषद,जौनपुररत्न,वाग्गेयकार,श्रेष्ठ संगतकार,मानसकंठी,हिन्दू धर्म निष्ठ,गुरुनिष्ठ,संगीताचार्य,भजन सम्राट,नादगुरु स्व.पं. रामप्रताप मिश्र "सहज”सम्मान से सम्मानित एवं जगतवंद्य श्रीचित्रकूट तुलसीपीठाधीश्वर पद्मविभूषित जगदगुरुरामानंदाचार्य स्वामि श्रीरामभद्राचार्यजी महाराज के अनन्य कृपापात्र,जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय श्रीचित्रकूटधाम उत्तर प्रदेश के संगीत संकाय के गायन विभाग में कार्यरत डॉ. विशेषनारायण मिश्र जी को “श्रीसनातन वैष्णव संगीत-सम्राट”की उपाधि से अलंकृत किया गया।
विदित हो कि भारतीय मूल के “फीजी आइलैंड”(विदेश) निवासी शास्त्रीय जयराजभाई एच.जोशी एवम “अम्बे मित्र मण्डल”अहमदाबाद,गुजरात(स्वदेश)दोनों के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित भगवान श्रीरामलला के श्रीअवधमें सैकड़ों वर्ष पश्चात श्रीराममंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के पावन शुभ घड़ी में“श्रीकामनाथ महादेव”मंदिर के प्रांगण में महादेव के ही समक्ष पंचदिवसीय श्रीरामकथा महोत्सव में संगीताचार्य डॉ. विशेष नारायण मिश्र जी को श्रीसनातनधर्म में संगीत के प्रति अगाध समर्पण,साधना एवम प्रचार प्रसार हेतु“श्रीसनातन वैष्णव संगीत-सम्राट” की उपाधि से अलंकृत किया जाना सुनिश्चित हुआ परन्तु “प्रथमतः भगवान का काम पश्चात अन्य कोई काम” को ध्यान में रखते हुए मिश्र जी ने कहा आज नहीं। आज तो श्रीरघुवरजी की छवि को निहारने का स्वर्णिम अवसर है जिसे चराचर जगत निहार रहा है।अतः यह कार्यक्रम पश्चात में किया जाय।अब वही कार्यक्रम बसंत पंचमी की पूर्व संध्या की पावन बेला में निश्चित स्थान एवम धाम में ग्यारह श्रीहनुमानचालीसा जी के पाठ के साथ सम्पन्न हुआ। विनोद पार्क घोड़ासर को.ओ.हा.सो.ली. जसोदानगर चार रश्ता घोड़ासर अहमदाबाद गुजरात के चेयरमैन श्रीजगदीशभाई एम.नानावटी एवं श्रीकामनाथ महादेव जी के प्रमुख पुजारी तथा जयराजभाई एच.जोशी “फीजी आइलैंड”(विदेश)निवासी के हाँथों “श्रीसनातन वैष्णव संगीत-सम्राट” की उपाधि से आपको अलंकृत किया गया।
ऐसे शुभ अवसर पर वहॉं के हितेंद्र भाई,अमर भाई ,विश्वा,रीना,प्रियान,महर्षि,रुषान, हर्षा बेन आदि गणमान्यजन उपस्थित रहे।
जौनपुर जनपद उत्तर प्रदेश ज़फराबाद के इमलो पाण्डेय पट्टी गाँव के श्रीहरिफुलवारी के स्व.श्रीमती रमावती देवि और श्री हृदय नारायण मिश्र के द्वितीय पुत्र पं. विशेष नारायण मिश्रजी ने इस उपलब्धि पर अपनी कृतज्ञता ज्ञापित की और कहा कि यह सम्मान मैं ईश्वर,गुरुजन,स्वजन एवम सम्पूर्ण विश्व के समग्र सनातन धर्मावलंबियों को ही समर्पित करता हूँ।
ऐसे शुभ समाचार से भारत ही नहीं पूरे विश्व के सनातनियों एवम संगीत रसिकों तथा देश विदेश में पण्डिजी के चाहने वालों में प्रसन्नता की लहर व्याप्त है तथा गृहजनपद से लेकर पूरे वैष्णव समाज एवं चाहने वाले संगीत सुधियों की बधाइयों की वासन्ती ऋतु छा गयी है।
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