पद्म विभूषण जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी को मिला भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा साहित्य सेवा का सर्वोच्च पुरस्कार ज्ञानपीठ पुरस्कार।


सुजानगंज जौनपुर,

शिक्षाविदों , भक्तों ने दी बधाई शुभकामनाए।
आज विश्व में सबसे अधिक भारतीय ज्ञान परंपरा को निर्वहन करने वाले शचीपुरम में अवतरित हुए 
*विश्व की विलक्षण प्रतिभा के धनी, जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिब्यांग राज्य विश्वविद्यालय चित्रकूट के  संस्थापक/जीवन पर्यन्त कुलाधिपति परम पूज्य गुरुदेव जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी महाराज को भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।*  कुलाधिपति जी के निजी सचिव  आर पी मिश्रा ने बताया कि परम पूज्य गुरुदेव जी आज लगभग शैक्षणिक जगत में शिक्षाविदों के लिए अमूल्य धरोहर है।और धार्मिक क्षेत्र में भी भारत में विशिष्ट महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। आपने वर्तमान तक लगभग 250 ग्रंथों का लेखन, प्रणयन किया है।जो भारतीय समाज आपको युगों युगों तक याद करेगा। आपके द्वारा संचालित विभिन्न प्रकल्पों में साहित्य सेवा, दिब्यांग जन सेवा,  संत सेवा, गौ सेवा,  भक्तों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। 
भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलने से आपके द्वारा संचालित  विभिन्न प्रकल्पों में शिक्षक कर्मचारी ने शुभकामनाए प्रेषित किया है। इस अवसर पर  तुलसीपीठ के युवराज आचार्य रामचन्द्र दास जी, व जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिब्यांग राज्य विश्वविद्यालय चित्रकूट के कुलपति प्रो0 शिशिर कुमार पांडेय,  प्रो राम सेवक दुबे, कुलपति जगद्गुरु रामानंदाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर, आचार्य दिनेश ज्योतिषी, डा0जे पी तिवारी, प्रबंधक, डा0 विनय कुमार तिवारी  प्राचार्य,  डा0 राजेश तिवारी, दहेव ,  जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज जी के पैतृक गांव शचीपुरम से चंदकांत मिश्रा, ओमप्रकाश मिश्र, जनार्दन मिश्रा, आनंद मिश्रा, मुकुंद सिंह आदि ने बधाई शुभकामनाए दी है।इस आशय की जानकारी एस पी मिश्रा ने दी।

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