प्रभु चरणों की कृपा से करता
है पुष्कर गुणगान।
नहीं कृपा हो अगर प्रभु की
है दुष्कर गुणगान।।
जिसके हृदय रामरस हलचल
प्रभु स्वयमेव प्रमाण।
प्रभु ही पावन पूत पुरातन
परमेश्वर तू जान।।
आज राम से चमके भारत
है दुनिया की शान।
मेरे राम हैं घट-घट वासी
हैं भारत के मान।।
राम तत्व के क्षुद्र विरोधी
सुनें खोल के कान।
राम हैं पर्यवसित भारत में
हैं भारत के प्राण।।
रोम-रोम में राम समाये
भजते सुबहो शाम।
रमते योगी इसी तत्व में
शत-शत कोटि प्रणाम।।
हे प्रभु मुझको आत्मसात् कर
दो जीवन उपहार।
प्रभु चरणों में रमूँ सदा
हों राम हृदय के हार।।