शिक्षा के साथ संस्कार भी जरूरी- आचार्य शान्तनु

जे0 पी0 इण्टरनेशनल स्कूल में संस्कार शाला का हुआ आयोजन

सुजानगंज जौनपुर

बच्चों में शिक्षा के साथ ही संस्कारों का भी बीजारोपण होना चाहिए। संस्कारों के बिना शिक्षा अधूरी है। आज के इस भौतिक युग में संस्कार शाला का संचालन होना अत्यंत आवश्यक है।उक्त बातें मुख्य अतिथि परमपूज्य शान्तनु जी 
 महाराज ने संस्कार शाला में आयोजित विद्यार्थी संवाद में कही। शान्तनु जी ने कहा कि बच्चों में नैतिक शिक्षा डालने का जो कार्य शुरू किया गया है, वह बहुत ही सराहनीय है। आज के इस बदलते परिवेश में समय निकालकर बच्चों को संस्कारवान बनाना यज्ञ करने के समान है। यह हमारे लिए गौरव की बात है। आदर्श समाज की स्थापना संस्कार से ही शुरू हो सकती है और संस्कार जन्म से ही डाला जा सकता है। शान्तनु जी ने कहा कि शिक्षा से पहले संस्कार की आवश्यकता है। बच्चों को घरों से ही संस्कार देना शुरू कीजिए। बच्चे के बड़े होने पर संस्कार देना मुश्किल हो जाता है इसलिए बाल्यावस्था से ही संस्कार का बीज बोना अति आवश्यक है। संस्कारशाला को नई पीढ़ी में नई चेतना प्रदान करने की दिशा बताया।इस दौरान विद्यार्थी संवाद में छात्रों की समस्याओं का भी निराकरण किया। 
कार्यक्रम के प्रारम्भ में विद्यालय के प्रबन्धक डाँ जय प्रकाश तिवारी एवं आचार्य शान्तनु जी ने मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन किया। अतिथियों का स्वागत भाषण विद्यालय की प्रधानाचार्या निशा किरण उपाध्याय ने किया। आभार ज्ञापन विद्यालय के निदेशक डॉ0 विनय कुमार त्रिपाठी ने किया। इस अवसर पर लाल बिहारी तिवारी, शिवानन्द चतुर्वेदी, जितेंद्र सिंह, के0पी0 सिंह, प्रीति सिंह, श्वेता सिंह सहित समस्त अध्यापक, छात्र एवं छात्राएं उपस्थित रहे।


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