अमृतवर्षी कथा पावनी
रंगवा में हो रही सावनी।
जनअंबार लगा सुनने को,
प्रभु-आगार खुला तरने को।।
देर करो न भक्त शिरोमणि,
हृदय समाये कथा का हर कण।
अंबाजी की कृपा है महती,
कृष्णाम्बुधि की कथा है बहती।।
गौरीशंकर का यह धाम,
भक्तजनों के हैं श्री राम।
द्वापर अधिनायक श्री श्याम
पूर्ण करें भक्तों के काम।।
भगवद्भक्ति सनातन थाती,
जस दीपक की जलती बाती।
चलो करें जय जय श्री राम,
मुरलीवाले जय श्री श्याम।।
कथाव्यास शांतनु सम्राट
के श्रीमुख से ज्ञान विराट।
प्राप्त करें हम यह श्री अवसर
इंद्रिय-अवगाहन मानस सर।।