जौनपुर
जिला काँग्रेस कमेटी के अध्यक्ष शिक्षा रत्न डॉ प्रमोद कुमार सिंह ने हिंदी भवन जौनपुर में युवाओं को संबोधित करते हुए कहा
सुगंध का नाम आते ही सबसे पहले हमारे मन में इत्र, फूलों या चंदन जैसी चीजों की छवि बनती है। लेकिन यह आवश्यक नहीं कि हर सुगंध भौतिक हो — कुछ खुशबुएँ अनदेखी होती हैं, जो हमारी आत्मा को स्पर्श करती हैं। ऐसी ही एक खुशबू होती है शख्सियत की - व्यक्तित्व की।
कई बार हम किसी व्यक्ति से मिलते हैं और उसके जाने के बाद भी उसकी उपस्थिति महसूस करते रहते हैं। वह व्यक्ति भले ही इत्र न लगाता हो, कोई विशेष वस्त्र न पहनता हो, परंतु उसकी बात करने की शैली, उसकी नम्रता, उसकी सादगी और उसके विचारों की ऊँचाई हमें अंदर तक छू जाती है। यह वही सुगंध है, जो इत्र से नहीं, चरित्र से आती है।
शख्सियत की महक कैसे फैलती है?
1. विनम्रता और व्यवहार:
एक विनम्र व्यक्ति का प्रभाव बहुत गहरा होता है। वह किसी पर भी अपनी छाप छोड़ देता है, क्योंकि उसका व्यवहार दूसरों को सम्मान देता है। ऐसे लोग स्वयं को ऊँचा दिखाने की बजाय दूसरों को ऊपर उठाते हैं।
2. सच्चाई और ईमानदारी:
जिनके भीतर सच्चाई होती है, उनके शब्दों में भरोसा होता है। उनकी बातें कम होती हैं, पर प्रभाव गहरा होता है। उनका व्यक्तित्व दूसरों को प्रेरित करता है कि वे भी सही राह पर चलें।
3. सेवा और सहायता का भाव:
जो लोग दूसरों की मदद बिना किसी स्वार्थ के करते हैं, उनकी आत्मा की सुगंध दूर-दूर तक फैलती है। उनके कर्म उनकी पहचान बन जाते हैं।
4. मुस्कान और सकारात्मकता:
एक सच्ची मुस्कान में बड़ी ताकत होती है। यह न केवल सामने वाले का मन प्रसन्न करती है, बल्कि उस व्यक्ति के प्रति आकर्षण भी पैदा करती है।
शख्सियत की सुगंध अमर होती है
इत्र की खुशबू कुछ ही समय तक टिकती है, लेकिन एक महान शख्सियत की महक समय, दूरी और मृत्यु के पार जाती है। महात्मा गांधी, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, मदर टेरेसा जैसे लोग भले ही अब हमारे बीच नहीं हैं, पर उनकी शख्सियत की खुशबू आज भी दुनिया को प्रेरणा देती है।
अंतिम विचार:
इसलिए जरूरी नहीं कि खुद को प्रभावशाली दिखाने के लिए महंगे इत्र या कपड़ों की जरूरत हो। यदि हमारा चरित्र मजबूत है, हमारे विचार सकारात्मक हैं और हमारा व्यवहार विनम्र है, तो हमारी शख्सियत खुद-ब-खुद एक महक बन जाएगी - ऐसी महक, जो नज़र नहीं आती लेकिन लोगों के दिलों में बस जाती है।
“सुगंध शरीर को भिगोती है, पर शख्सियत आत्मा को महकाती है।”
आपका व्यक्तित्व ही आपकी सबसे सुंदर खुशबू है — उसे निखारिए, संवारिए और दुनिया में फैलाइए।
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