श्रावण मास में गौरीशंकर धाम का रहता है विशेष महत्व

गौरीशंकर धाम पर लगा श्रद्धालुओं का रेला 

सुजानगंज-

स्थानीय क्षेत्र का श्री गौरीशंकर धाम प्राचीन और विशाल मंदिर है। यह मंदिर सुजानगंज से मछलीशहर मार्ग पर स्थित है। यह मंदिर ऐतिहासिक शक्तिपीठ के साथ साथ श्रद्धा और विश्वास का केंद्र बन गया है। श्रावण मास के अंतिम सोमवार को भारी संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं ने किया पूजा अर्चना। लंबी कतार में खड़े होकर करते रहे इंतजार भोर से ही श्रद्धालुओं की लगी रही लाइने । मंदिर का मुख्य द्वार खुलते ही श्रद्धालुओं ने लगाई शिवशंकर भोलेनाथ बाबा का जयकारा जयकारा लगते ही गूंज उठा सुजानगंज का गौरीशंकर धाम । श्रद्धालुओं ने भगवान शिव के पूजा अर्चना के लिए गंगा जल, बेलपत्र, धतूर, मदार, नीलकंठ पुष्प, अक्षत, काला तिल, गाय का दूध, फल फूल, धूप दीप नैवेद्य के साथ विधि विधान से मन के शांति के लिए पूजा अर्चना की। मंदिर परिसर का चारो तरफ से घूमकर चक्कर लगाते हुए जलाभिषेक किया। मंदिर में स्थापित शिवलिंग स्वयंभू एवं कालातीत होने के साथ साथ अर्धनारीश्वर के रूप में है, जो अद्वितीय है। इस मंदिर के विषय में कहा जाता है कि जहाँ यह मंदिर स्थापित है वहां पहले घनी झाड़िया थी। 14 वीं सदी की बात है लोग अपनी गायो को चराने के लिए लाते थे। एक दिन एक गाय इसी घनी झाड़ी में घुस गयी और काफी खोजबीन के बाद भी नहीं मिली। शाम को जब स्वामी अपनी गाय को ढूंढते ढूंढते झाड़ी के समीप पंहुचा तो वहां का दृश्य देख आश्चर्यचकित रह गया। गाय एक स्थान पर शांतचित्त खड़ी थी और उसके स्तन से दूध अपने आप एक काले पत्थर पर गिर रहा था। इस दृश्य को देखकर उसने कई लोगो को इसके विषय में बताया तभी किसी को स्वप्न आया कि उस पत्थर को उखाड़ो मत बल्कि वही एक मंदिर का निर्माण करा दो। इसके बाद सामूहिक रूप से इस मंदिर का निर्माण करा दिया गया।


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