जौनपुर
जनपद जौनपुर में स्थित शक्तिपीठ के नाम से सुप्रसिद्ध मां शीतला धाम चौकियां में चल रहे श्री हनुमत कथा के पांचवे समापन के दिन जगत गुरु रामभद्राचार्य के शिष्य, चित्रकूट के तुलसी पीठ उत्तराधिकारी स्वामी रामचन्द्र जी महाराज ने कथावाचक श्री ने हनुमत चरित्र का सुन्दर वर्णन करते हुए कहा की हनुमान जी एक ऐसे देवता हैं जिनके चित्र नही चरित्र की पूजा होती है। हनुमान स्वयं को शून्य मानकर सिर्फ बड़ो की सेवा में जुटे रहे। भगवान की प्राप्ति के दो ही उपाय है विश्वास और प्रेम भावना।
भगवान की न समीक्षा करो, न परीक्षा करो बस उनकी प्रतीक्षा करो। इसी के साथ ही कथा पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। उन्होने कहा कि रावण ने मां जानकी सीता का हरण कर अपराध किया लेकिन साधु वेश में किया सबसे बड़ा अपराध था। सभी साधु संतो को कलंकित किया। संगीत मय कथा के दौरान राम राम रटते रटते बीती रे उमरिया, रघुकुल नंदन कब आओगे सब्र की उमरिया भजन गाया। पंडाल में बैठे भक्तों ने साथ में भजन गाकर भक्ति रस में डूब गए। कथा के दौरान पुलिस अधीक्षक डॉ अजय पाल शर्मा मंच पर पहुंचे। रामचंद्र जी महाराज व पुलिस अधीक्षक ने एक दूसरे का अभिनंदन किया। पंद्रह मिनट कथा श्रवण कर गंतव्य को रवाना हो गए।कथा से पूर्व बद्रीनाथ धाम से पधारे यज्ञ सम्राट बाल योगेश्वर दास जी, वृंदावन धाम से धनंजय दास पहुंचे। बाल योगेश्वर दास जी ने कहा कि आपका प्रेम देख कर भावुक हूं आप लोग धन्य है जो साधु संतो के दर्शन हो रहे हैं। साधु संतो का आशिर्वाद हमेशा मिलता रहे। यहां जो प्रेम देखने को मिला यह मेरा सौभाग्य है। इससे पूर्व भजन गायिका निशा शर्मा ने मां शीतला के भजनों को गाकर समां बांधा। मां शीतला कार्यसमिति अध्यक्ष व आयोजक विनय त्रिपाठी ने आगंतुकों का आभार प्रकट किया। कोषाध्यक्ष संजय माली, महामंत्री अनिल सोनकर, क्षमानाथ त्रिपाठी, आदर्श उपाध्याय, संदीप माली, अजय यादव, आनंद त्रिपाठी, पप्पू त्रिपाठी आदि के सहयोग से भव्य समारोह का आयोजन किया गया.
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